पानी पीने के जलश्रोत :

अठारहवीं शाताब्दी में इस गाँव में हमारे पूर्वज अब आये तो पीने के पानी का श्रोत एक मात्र गंगाजी का जल था। कालान्तर में एक कच्चा कुंआ शेरपुर खुर्द में बना। उसी को बाद में स्थानीय रूप से ईंट पकाकर पक्का बनाया गया। शेरपुर कलाँ गाँव के बसने पर 1820 के पश्चात् पक्के कुये तैयार हुये थे। इस समय हर घर में हैन्ड पाइप अपना निजी लगा है। सरकार द्वारा भी हैन्ड पापइप लगाया जा रहा है। नलकूप द्वारा भी पानी की व्यवस्था की जा रही है।

प्रकाश व्यवस्था :

हमारे पूर्वज जब गंगा की दियारा में बसने आये तो प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं थी। अठारहवीं शताब्दी तक मिट्टी का तेल भी उपलब्ध नहीं था लोग सरसों का तेल या वरे कुसुम के तेल का दीपक जलाकर प्रकाश व्यवस्था करते थे। आज बिजली ने सर्वत्र प्रकाश फैला दिया है। आज भोजन भी बिजली से ही बनने लगा है।