शिक्षा की स्थिति :

गाँव के बसने यानि 1750 ई0 से 1900 ई0 तक शिक्षा नगण्य थी। 1850 के पश्चात् कतिपय सम्पन्न लोग बाहर वाराण्सी गाजीपुर आदि शहरों में जाकर शिक्षा ग्रहण करने लगे थे। गाँव में कोई प्राइमरी पाठशाला नहीं था। संस्कृत की पढ़ाई स्थानीय ब्राह्मण परिवारों द्वारा होती थी। 1900 तक बाहर से विद्यार्थी आकर शेरपुर में संस्कृत भाषा पढ़ते थे। उनको यहाँ के लोग अपने घर रखकर भोजन व्यवस्था करते थे। संस्कृत के अच्छे अच्छे विद्वान यहाँ 1900 शताब्दी में हुये हैं। शिक्षा के लिये गाँव में प्राइमरी स्कूल सर्वप्रथम 1890 या 1900 में पश्चिमी स्कूल नाम से खुला था। सन् 1926 ई0 में मिडिल स्कूल तथा 1931 में एक दूसरा प्राइमरी स्कूल पूरब तरफ खुला था। सन् 1960 के लगभग राजकीय प्राइरी स्कूल खुला सन् 1975 तक शिक्षा की बहुत कमी थी। आजकल प्राइवेट स्कूल खुलने से शिक्षा का प्रसार तेजी से होने लगा है। एक हायर सकेन्डरी स्कूल है। लड़कियो के लिये अलग से स्कूल की नही व्यवस्था है। शिक्षा के क्षेत्र में आज भी यह गाँव सन्तोषजनक उन्नति नहीं कर सका है। बहुत कम लड़के लड़कियाँ आज के वैज्ञानिक युग में तकनीकी शिक्षा का लाभ उठा पा रहे है। शहरों मे जिन लोगों के पढने की व्यवस्था हो पा रही है वहीं लोग उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
बीसवीं शताब्दी में इस गाँव में कतिपय विद्वान भी हुये हैं। डा0 तिलेश्वर राय, डा0 गंगासागर राय आदि शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी ख्याति प्राप्त किये हैं। डा0 गंगासागर राय का एक लड़का भौतिक विज्ञान में पी0एच0डी0 करके अमेरिका के विश्वविद्यालय में नौकरी पाया है। हायर सेकेन्डरी स्कूल के प्राचार्य के पद पर भी इस गाँव के कई व्यक्ति रहे हैं। डा0 व इन्जीनियर भी इस शताब्दी में इस गाँव के कई व्यक्ति रहे है डा0 व इन्जिनियर भी इसी शताब्दी में इस गाँव के लोगेा हूये शारदाचरण राय इस गाँव से प्रथम एम.वी.ए हुये। श्री मधुमंगल राय प्रथम इन्जीनियर बने और बिहार में मुख्य अभियन्ता के पद तक पहुँचे है। अजय कुमार पुत्र चन्द्रबली राय मेधावी छात्र इस गाँव का यू0पी0 बोर्ड की सन् 1987 की परीक्षा में बारवहीं कक्षा में 8वां स्थान प्राप्त किया । अजय कुमार ने सन् 1997, 1998 व सन् 1999 की भारतीय सिविल परीक्षा मे सफलता प्रप्त करके इस गाँव का नाम रोशन किया । इसने भारतीय इन्जीनियंरिग परीक्षा मे इलेक्ट्रानिक्स में 99वां स्थान प्राप्त किया। डाॅ सिद्धेश्वर राय भौतिक विज्ञानके प्राध्यापक रहें । अन्य भी कई लड़कें इस गाँव का नाम रोशन किये हैं। इस गाँव के बच्चे भारत वर्ष कई शहारों में उच्च पद पर नौकरी कर रहे है। इस गाँच के डा. बृज भुषण राय अतिरिक्त कृषि निदेशक उ0प्र0 रहें हैं